बिना मैदान दिल्ली फुटबॉल लीग में बाजी मार रहे शहर के फुटबॉलर

June 19, 2017

City footballer betting in the Delhi football league

Reference: http://www.khelratna.org/noida/noida-news/

किसी भी खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए मैदान जरुरी है, लेकिन बिना स्थायी मैदान अगर कोई भी टीम दिल्ली फुटबॉल के सुपरलीग में जगह बना लेती है तो यह रोमांचित जरुर करता है। नोएडा का उत्तराखंड क्लब भी इसी तरह की टीम है, इनके पास अभ्यास के लिए कोई भी स्थायी ग्राउंड नहीं है। ऐसे में यह दिल्ली के विभिन्न मैदानों को किराए पर लेकर सप्ताह में महज दो दिन अभ्यास कर सफलता की ऊंचाइयां छू रहे हैं।

बीते वर्ष टीम ने ए डिवीजन और सुपरलीग के 10 से अधिक मुकाबले जीते। इस टीम में सभी खिलाड़ी नोएडा के हैं, लेकिन उन्हें यहां अभ्यास के लिए निशुल्क ग्राउंड नहीं मिलता। ऐसे में टीम के सदस्य दिल्ली के विभिन्न किराए के मैदानों पर अभ्यास करती है। नोएडा से मैदान का किराया कम होने के कारण टीम दिल्ली के मैदान पर अभ्यास को तवज्जो देती है। खिलाड़ियों ने मेहनत के बल टीम को सुपरलीग में पहुंचाया है। करीब 7-8 साल बाद टीम इस मुकाम पर पहुंची है। यह स्थिति सिर्फ उत्तराखंड क्लब की नहीं बल्कि दिल्ली फुटबॉल लीग खेलने वाली कई टीमों की है। जो किराए के ग्राउंड पर अभ्यास कर लीग में दमखम दिखाने का माद्दा रखते हैं।

‘अगर हमें निशुल्क ग्राउंड मिले तो अभ्यास और भी बेहतर तरीके से किया जा सकता है, लेकिन अभ्यास के लिए हमें किराए का ग्राउंड लेना पड़ता है। इससे दो-तीन दिन तक ही अभ्यास कर पाते हैं, क्योंकि छह से सात दिन के अभ्यास के लिए काफी धन की जरुरत होगी।’
जोगिंदर रावत, उत्तराखंड फुटबॉल क्लब के प्रशिक्षक और खिलाड़ी

चंदा और खुद से जुटाया धन से किराए पर लेते हैं ग्राउंड
उत्तराखंड क्लब के खिलाड़ी अभ्यास के ग्राउंड के लिए खुद से चंदा इकट्ठा करते हैं या किसी पूर्व खिलाड़ी, उद्योगपति या अन्य लोगों से मिले चंदे का उपयोग करते हैं। कई बार तो दूसरे लोगों से चंदा नहीं मिलने की स्थिति में खिलाड़ियों को ही पैसा लगाना पड़ता है। इसके बाद ही ग्राउंड अभ्यास के लिए मिलता है। नोएडा स्टेडियम में एक दिन का किराए करीब 3-5 हजार के बीच है। वहीं दिल्ली के ग्राउंड इससे कम राशि में मिल जाते हैं।

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