खेल : फ्रांस कैंप में पहलवानों को प्रैक्टिस में क्यों नहीं मिले जोड़ीदार

September 5, 2017

Sports: Why did not the wrestlers get practice in France camp?

Reference: http://www.jagran.com/haryana/gurgaon-sports-16657951.html

फ्रांस में खेली गई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों के मेडल नहीं जीतने के बाद कुश्ती जगत में चर्चाएं गर्म है। कहा जा रहा है कि पहलवान फ्रांस में कैंप नहीं लगाना चाहते थे। कहा जा रहा है यह कैंप कुछ कोचों की मर्जी के कारण भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआइ) ने फ्रांस में कैंप लगाया था जिसमें लाखों रुपये खर्च आया।

सूत्रों का कहना है कि भारत से रवाना होने से पहले पता चल गया था कि फ्रांस में जहां टीम ठहराई जाएगी, वहां प्रैक्टिस के लिए कोई दूसरी टीम नहीं है। हालांकि इस बात को कुश्ती के दिग्गज भी मानते हैं कि प्रेक्टिस में दूसरे साथी की जरूरत होती है और भारतीय पहलवानों को 20-25 दिन प्रैक्टिस के लिए साथी मिला ही नहीं। इस संबंध में ओलंपियन गीता फौगाट भी कह चुकी हैं कि प्रैक्टिस सुविधा बेहतर नहीं होने कारण पहलवान मेडल नहीं जीत पाए।

फ्रांस ने मना किया: सूत्रों की मानें तो फ्रांस कुश्ती फेडरेशन ने मना कर दिया था कि कैंप लगाने की जगह नहीं है। फिर भी कैंप फ्रांस लगाया गया। जब भारतीय पहलवान फ्रांस पहुंचे, तो पहलवानों को ऐसी जगह रखा गया कि वहां पर किसी दूसरे देश के पहलवान नहीं थे जिन के साथ प्रैक्टिस की जा सके। यह कोच भी जानते थे कि पहलवानों को प्रैक्टिस करने के लिए हर वर्ग में दूसरे साथी की जरूरत होती है। फिर भी उन्होंने कैंप फ्रांस में लगाया।

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ज्यादा पदक जीतने वाले देशों में लगना चाहिए था कैंप:

पहलवानों को कहना है कि अगर कैंप विदेश में लगाना था कि जार्जिया, उक्रेन,उज्बेकिस्तान, ईरान व अन्य कई देश हैं जिन के पहलवान विश्व में सबसे ज्यादा पदक जीतते हैं। वहां पर कैंप लगाने से पहलवानों को फायदा होता। वैसे भी कुश्ती में फ्रांस विश्व तालिका में और भारत से भी बहुत पीछे है। फ्रांस में चैंपियनशिप से पहले कैंप लगाने का फायदा होता, जब दूसरे देश के पहलवानों के साथ कैंप लगाने का मौका मिलता। लेकिन यह कैंप कुछ लोगों ने इस लिए लगवाया कि फ्रांस में घूमने का मौका मिलेगा। इस तरह के फैसले से पहलवानों व देश का नुकसान हुआ।

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जब मेडल नहीं आए, तो इस तरह की बात होने लगी। सरकार व एसोसिएशन ने फ्रांस कैंप में वो सभी सुविधा दी हैं जिसकी पहलवानों को जरूरत थी। फ्रांस में कैंप किसी कोच के दबाव में नहीं लगाया गया।

– विनोद तोमर, सहायक सचिव, डब्ल्यूएफआइ

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